ग़ाज़ा का दर्द

ग़ाज़ा

ए ग़ाज़ा की छोटी सी धरती तुझसे सब भगवान मुँह मोड़ गए!
क्या तेरे समधर्मी , क्या विधर्मी सब रिश्ता तोड़ गए!
बने फिरते विश्व नेता, विश्व संगठन, विश्व दिवस, विश्व संकल्प सब
फिज़ूल नहीं महाफिज़ूल हुए!
हमास के पाप, इज़रायल के श्राप, हमास की आतंक नीति इज़रायल की राष्ट्र नीति सब हिंसक शूल हुए!
हिटलर बना यहूदी, चीन बना अमेरिका,
खूनी इतिहास की यातना से यातना देना सीख गए!
पेट में आँच, शरीर के जख्म, संतान खोने का सिलसिला
ख़ामोश हुए नन्हें फ़रिश्ते, फ़रिश्ते ईश्वर के आगे अंतिम बार चीख गए
ए ग़ाज़ा की छोटी सी धरती …..

शिवेंद्र सिंह

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